इन दिनो , दिन कैसे सरपट भाग रहे है । मानो एक के बाद एक घटित होते घटनाक्रम, थमने, ठहरने, समझने के लिये अंतराल ही नही । फास्ट एकशन मूवी की तरह ।
हर साल की तरह इस बार भी हम सरकारी लोगो को मार्च फीवर/सिंड्रोम से दो –चार होना पड रहा है ।
# मार्च फीवर यानी सरकारी ऑफिसो मे इयर एंडिंग के काम का निपटान , कट ऑफ डेट तक बजट टारगेट पूरा करने की भाग दौड। उपर से यदि विधान सभा सत्र चल रहा हो तो मंत्रालय के कर्मचारी/अधिकारियों की शक्लो- सूरत और आपाधापी देखते ही बनती है ।
किसी ग्रंथ के किसी श्र्लोक का अनुवाद सादर प्रस्तुत -
“सरकारी प्राणी काम तो खूब करते है(???....), ये अलग बात है कि इस काम के दर्शन सिर्फ कागज़ों पर ही होते है ।“
# मार्च फीवर यानी इनकम टेक्स का टेंशन , टेक्स बचाने के लिये इंवेस्टमेंट की जुगत ।
पिछले कुछ सालो मे मै इनकम टेक्स के गूढ रहस्यो को अच्छा खासा (या...थोडा बहुत ) समझने लगी हू ।मुझे समझ आ गया है कि, कुल मिला कर –
इधर कुआँ उधर खाई , इधर इनकम टेक्स उधर महंगाई !!!
बच सको तो बच लो – very challenging job !!
# मार्च फीवर यानी बच्चों के फाइनल एक्ज़ाम,
यूं तो मार्च फीवर ,फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही शुरू होने लगता है ।
सीबीएसइ के स्कूलों मे बच्चों के फिनल एक्ज़ाम फरवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाते है और मार्च के आधे गुज़रते तक परीक्षाए खतम्। इन दिनो बच्चों को कुछ extra attention देना पडा ।
खान पान ,पढने खेलने का समय , बदलते मौसम के तेवर से बचाव , सभी कुछ सम्भालने की कामयाब कवायद कर डाली ।Thank god ,सब ठीक ठाक रहा।
अभी बस इतना ही । अगली पोस्ट जल्दी ही लिखना चाहती हूँ।