क्या रह गया है अब मेरे पास ,
मात्र शब्द मेरे
कभी टूट जाते है ,
कभी बिखर जाते है ,
कभी गुनगुनाते है , शब्द मेरे
क्या होगा मेरा
अगर किसी ने छीन लिए ,
कभी कभी कुछ भी नही
कह पाते है , शब्द मेरे
मुझे रुलाते है ,
मुझे हँसाते है ,
मुझे समझाते है , शब्द मेरे
मन मेरा तेरा आभारी है ,
ओ शब्द मेरे..... .
5 टिप्पणियां:
शब्द एक दौलत से कम नही साथक रचना , बधाई
main to kehta hu shabd hi brahmand hain. bahut sundar rachna. abhaar
सच में यह शब्द ..पर सारा जहाँ इन शब्दों का मोहताज है.. बहुत सुंदर .
सुन्दर-सार्थक प्रस्तुति .बधाई .
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
सभी कविताएं रोचक एवं बेजोड़|
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !!
http://madanaryancom.blogspot.com/
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