ई-वालेट को डिजिटल वालेट या मोबाइल वालेट भी कहते है । वर्तमान मे भारत मे विभिन्न ई-वालेट (ईलेक्ट्रॉनिक वालेट) उपलब्ध है । इनमे से कुछ प्रमुख है –
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पिछले कुछ दिनो मे भारत में डिजिटल वॉलेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। देश धीरे-धीरे कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। एक ई-वॉलेट (डिजिटल वॉलेट या एक मोबाइल वॉलेट भी कह सकते है ) त्वरित और आसान तरीके से लेनदेन करने में सहायक है। कैश लेस इकॉनॉमी की ओर बढने के लिये ई-वलेट बहुत प्रभावकारी माध्यम है । इस की सहायता से कैश लेस ट्रांजेक्शन तुरंत व आसानी से किये जा रहे है ।
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परिभाषा: ई-वॉलेट (डिजिटल वॉलेट या मोबाइल वॉलेट) एक सेवा को कहा जाता है जो आपको इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रांजेक्शन(मौद्रिक लेनदेन) करने की सुविधा प्रदान करता है।
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विवरण: ई-वॉलेट एक प्रकार का प्री-पेड खाता है जिसमें उपयोगकर्ता कंप्यूटर या स्मार्टफोन के माध्यम से भविष्य के किसी भी ऑनलाइन लेनदेन के लिए अपना पैसा जमा कर सकता है। ई-वॉलेट पासवर्ड द्वारा सुरक्षित रहता है। ई-वॉलेट की मदद से, रेल की टिकिट, किराने का सामान, ऑनलाइन खरीदारी और फ्लाइट टिकटऔर अन्य विभिन्न ऑनलाइन सेवाओ के लिये भुगतान किया जा सकता है। भुगतान करने के लिए ई-वॉलेट को व्यक्ति के बैंक खाते के साथ जोड़ा जाता है । है। साथ ही यह मोबाइल फोन नंबर से भी लिंक होता है।
ई-वॉलेट किस तकनिक पर कार्य करता है – संक्षेप मे समझे तो ई-वालेट प्रणाली में मुख्य रूप से दो भाग हैं, सॉफ्टवेयर और सूचना। सॉफ़्टवेयर व्यक्तिगत जानकारी संग्रहीत करता है और डेटा की सुरक्षा और एन्क्रिप्शन प्रदान करता है। सूचना उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान किए गए विवरणों का एक डेटाबेस है जिसमें उनका नाम, पता, भुगतान विधि, भुगतान की जाने वाली राशि, क्रेडिट या डेबिट कार्ड विवरण आदि शामिल हैं।
ई-वॉलेट को ऑपरेट करने का तरीका- सबसे पहले ई-वालेट अकाउंट बनाने के लिये , उपयोगकर्ता को अपने डिवाइस पर सॉफ़्टवेयर या मोबाइल एप इंस्टॉल करना होगा, और आवश्यक निजी जानकारी दर्ज कर स्वयम को रजिस्टर करना होता है । उपयोग कर्ता को KYC /eKYC प्रक्रिया करनी होगी। इस प्रक्रिया मे ई-वालेट खाता आपके बैक खाते के साथ जुड जाता है । ई-वॉलेट के माध्यम से भुगतान/ट्रांजेक्शन हेतु उपयोगकर्ता को अपना पासवर्ड दर्ज करना होगा। ऑनलाइन खरीदारी करने के बाद, ई-वॉलेट स्वचालित रूप से उपयोगकर्ता की जानकारी भुगतान फॉर्म पर भर देता है। एक बार ऑनलाइन भुगतान हो जाने के बाद, उपभोक्ता को किसी अन्य वेबसाइट पर ऑर्डर फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि डेटाबेस में जानकारी संग्रहीत हो जाती है और स्वचालित रूप से अपडेट हो जाती है।
ई-वॉलेट किस तकनिक पर कार्य करता है – संक्षेप मे समझे तो ई-वालेट प्रणाली में मुख्य रूप से दो भाग हैं, सॉफ्टवेयर और सूचना। सॉफ़्टवेयर व्यक्तिगत जानकारी संग्रहीत करता है और डेटा की सुरक्षा और एन्क्रिप्शन प्रदान करता है। सूचना उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान किए गए विवरणों का एक डेटाबेस है जिसमें उनका नाम, पता, भुगतान विधि, भुगतान की जाने वाली राशि, क्रेडिट या डेबिट कार्ड विवरण आदि शामिल हैं।
ई-वॉलेट को ऑपरेट करने का तरीका- सबसे पहले ई-वालेट अकाउंट बनाने के लिये , उपयोगकर्ता को अपने डिवाइस पर सॉफ़्टवेयर या मोबाइल एप इंस्टॉल करना होगा, और आवश्यक निजी जानकारी दर्ज कर स्वयम को रजिस्टर करना होता है । उपयोग कर्ता को KYC /eKYC प्रक्रिया करनी होगी। इस प्रक्रिया मे ई-वालेट खाता आपके बैक खाते के साथ जुड जाता है । ई-वॉलेट के माध्यम से भुगतान/ट्रांजेक्शन हेतु उपयोगकर्ता को अपना पासवर्ड दर्ज करना होगा। ऑनलाइन खरीदारी करने के बाद, ई-वॉलेट स्वचालित रूप से उपयोगकर्ता की जानकारी भुगतान फॉर्म पर भर देता है। एक बार ऑनलाइन भुगतान हो जाने के बाद, उपभोक्ता को किसी अन्य वेबसाइट पर ऑर्डर फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि डेटाबेस में जानकारी संग्रहीत हो जाती है और स्वचालित रूप से अपडेट हो जाती है।
ई-वालेट के लाभ-
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ट्रांजेक्शन सुरक्षित है।
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उपयोग की प्रक्रिया आसान है ।
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भुगतान त्वरित होते है ।
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हमेशा नगदी (कैश) ले कर चलने की झंझट से मुक्ति ।
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मोबाइल एप या वेबसाइट- ई-वालेट उपयोग हेतु दोनो विकल्प विद्यमान है ।
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मनी ट्रांसफर की सुविधा।
(disclaimer: उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्त्रोतो से संकलित कर पाठको के लिये सरल शब्दो मे प्रस्तुत की गयी है। तथ्य एवं आकडो(Facts and Figures) की जानकारियां पूर्ण सावधानी से सन्कलित की गयी है। तथापि पाठक वर्तमान, वास्तविक जानकारी हेतु सम्बंधित अधिकारिक वेब साइट से सत्यापित करना सुनिश्चित करें )
2 टिप्पणियां:
बहुत उपयोगी जानकारी
आपकी टीप्पणी के लिये धन्यवाद,
मेरे टेक्नॉलॉजी ब्लॉग पर आपके विचार व सुझाव अवश्य दीजिये।
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